Small Moral Stories In Hindi हिंदी में नैतिक शिक्षा की कहानियां

बच्चों को संस्कार और जीवन मूल्य सिखाने का एक शानदार तरीका है - कहानियां. छोटी कहानियां ना सिर्फ उन्हें मनोरंजन देती हैं, बल्कि उनमें सही और गलत में फर्क करने की समझ भी पैदा करती हैं. आज हम आपके लिए लाए हैं, हिंदी में कुछ चुनिंदा छोटी कहानियां, जिनमें छिपी हैं सीखने की बड़ी बातें.

1. शेर और चींटी (Sher aur Cheeti)

जंगल में एक शेर रहता था. वह जंगल का राजा था और सभी जानवर उससे डरते थे. एक दिन शेर पेड़ के नीचे आराम कर रहा था कि तभी एक छोटी चींटी उसके पैर पर चढ़ गई. गुस्से में शेर ने चींटी को पकड़ लिया और उसे मारने ही वाला था कि चींटी बोली, "हे राजा, मुझे छोड़ दो. मैं तुम्हें कभी कोई नुकसान नहीं पहुंचाऊंगी. शायद कभी तुम्हारी मदद भी कर सकूं." शेर को चींटी की बात बचकानी लगी और उसने उसे छोड़ दिया.

कुछ दिनों बाद, शेर जाल में फंस गया. वह जितना जल्दी जाल से बाहर निकलने की कोशिश करता, उतना ही फंसता जाता था. तभी उसे चींटी की याद आई. चींटी आई और अपने साथ सैकड़ों चींटियों को ले आई. मिलकर उन्होंने धीरे-धीरे जाल को काटना शुरू किया. आखिरकार शेर जाल से बाहर निकलने में कामयाब हो गया.

सीख: कभी भी किसी को छोटा मत समझो. मुसीबत के समय कोई भी आपकी मदद कर सकता है.

2. कछुआ और खरगोश (Kachhua aur Khargosh)

एक जंगल में एक तेज धावक खरगोश रहता था और एक धीमी गति से चलने वाला कछुआ. खरगोश हमेशा अपनी तेज रफ्तार पर गर्व करता था और कछुए को उसकी धीमी गति के लिए चिढ़ाता था. एक दिन दोनों के बीच में दौड़ प्रतियोगिता होने का फैसला हुआ.

दौड़ शुरू हुई. खरगोश तो तेजी से आगे भाग गया. वह बहुत आगे निकल गया था. यह सोचकर कि वैसे भी जीत उसी की है, वह रास्ते में आराम करने लगा. वह सो गया. इधर, कछुआ धीमी गति से लगातार चलता रहा. जब खरगोश सोकर उठा तो उसने देखा कछुआ फिनिशिंग लाइन पार कर चुका है और जीत गया है.

सीख: घमंड कभी भी अच्छा नहीं होता. धीमी और लगातार मेहनत ही सफलता की कुंजी है.

3. ईमानदार लकड़हारा (Imandar Lakkadhara)

एक गरीब लकड़हारा जंगल से लकड़ी काटकर बेचता था. एक दिन जंगल में लकड़ी काटते समय उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई. लकड़हारा बहुत परेशान हुआ. वह सोचने लगा कि अब वह कैसे अपना काम करेगा. उसी समय एक परी नदी से निकली और उससे पूछा कि उसे क्या परेशानी है. लकड़हारे ने उसे सारी बात बताई.

परी ने नदी में गोता लगाया और तीन कुल्हाड़ियां लेकर आई. पहली कुल्हाड़ी सोने की थी, दूसरी चांदी की और तीसरी लोहे की. परी ने लकड़हारे से पूछा कि ये में से कौन सी कुल्हाड़ी तुम्हारी है. लकड़हारे ने ईमानदारी से बताया कि लोहे की कुल्हाड़ी उसकी है. परी उसकी ईमानदारी से खुश हुई और उसे लोहे की कुल्हाड़ी वापस कर दी. इसके अलावा, ईमानदारी का इनाम देते हुए उसने सोने और चांदी की कुल्हाड़ी भी उसे दे दी.

सीख: ईमानदारी हमेशा फलती है.


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Bhaskar Singh

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